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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

राजस्थान इतिहास और भूगोल




इतिहास और भूगोल

राजस्थान, भारत के सबसे बड़े राज्य स्वतंत्रता से पहले क्षेत्रीय रूप से राजपूताना के रूप में जाना जाता था। राजपूत, एक मार्शल समुदाय सदियों से इस क्षेत्र पर शासन करता था। राजस्थान का इतिहास पूर्व-ऐतिहासिक काल में वापस आता है। लगभग 3,000 और 1,000 ईसा पूर्व, इसकी संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता के समान थी। चौहान जो सातवीं शताब्दी से राजपूत मामलों पर प्रभुत्व रखते थे और 12 वीं शताब्दी तक वे शाही शक्ति बन गए थे। चौहान के बाद, मेवार के गुहिलोत ने युद्धरत जनजातियों की नियति को नियंत्रित किया। मेवार के अलावा, अन्य ऐतिहासिक रूप से प्रमुख राज्य मारवार, जयपुर, बुंदी, कोटा, भरतपुर और अलवर थे। अन्य राज्य केवल इनके ऑफशूट थे। इन सभी राज्यों ने 1818 में राजकुमारों के हितों की रक्षा में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि को स्वीकार कर लिया। यह स्वाभाविक रूप से लोगों को असंतोष छोड़ दिया।
1857 के विद्रोह के बाद, लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में खुद को एकजुट किया। ब्रिटिश भारत में 1935 में प्रांतीय स्वायत्तता के परिचय के साथ, राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकारों के लिए आंदोलन मजबूत हो गया। बिखरी हुई राज्यों को एकजुट करने की प्रक्रिया 1 9 48 से 1 9 56 तक शुरू हुई जब राज्य पुनर्गठन अधिनियम का प्रक्षेपण किया गया। सबसे पहले मत्स्य संघ (1 9 48) में राज्यों का एक अंश शामिल था, फिर धीरे-धीरे और धीरे-धीरे अन्य राज्य इस संघ के साथ विलय हो गए। 1 9 4 9 तक, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसे प्रमुख राज्य इस संघ में शामिल हुए और इसे ग्रेटर राजस्थान का संयुक्त राज्य बना दिया। आखिरकार 1 9 58 में, राजस्थान का वर्तमान राज्य औपचारिक रूप से आया, अजमेर राज्य, अबू रोड तालुका और सुनेल ताप्पा इसमें शामिल हो गए। पाकिस्तान के साथ राज्य सीमाओं का पूरा पश्चिमी हिस्सा, जबकि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात में राजस्थान से बंधे थे।

कृषि

राज्य में कुल खेती योग्य क्षेत्र 21 9.46 लाख हेक्टेयर है। और 200 9 -10 में अनुमानित खाद्य अनाज उत्पादन 123.5 9 लाख टन था। राज्य में अनुमानित कुल खेती क्षेत्र 245.38 लाख हेक्टेयर था और वर्ष 2010-11 में अनुमानित खाद्य अनाज उत्पादन 201.45 लाख टन था। राज्य में खेती की जाने वाली प्रमुख फसलें चावल, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, ग्राम, गेहूं, तिलहन, दालें और कपास हैं। सब्जियों और साइट्रस फलों जैसे कि नारंगी और माल्टा की खेती पिछले कुछ सालों में भी बढ़ी है। लाल मिर्च, सरसों, जीरा, मेथी और हिंग राज्य की वाणिज्यिक फसलें हैं

उद्योग और खनिज

समृद्ध संस्कृति के साथ संपन्न, राजस्थान खनिजों में भी समृद्ध है और देश के औद्योगिक परिदृश्य पर तेजी से उभर रहा है। कुछ महत्वपूर्ण केंद्रीय उपक्रम देवरी (उदयपुर) में जिंक स्मेल्टर प्लांट, खेत्री नगर (झुनझुनू) में कॉपर प्लांट और कोटा में प्रेसिजन इंस्ट्रूमेंट फैक्ट्री हैं। 1,2552.50 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश के साथ 3.4 9 लाख की छोटी-छोटी औद्योगिक इकाइयां मार्च 2011 तक राज्यों में लगभग 14.90 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। प्रमुख उद्योग कपड़ा और ऊन, इंजीनियरिंग अच्छा, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ऑटोमोबाइल, खाद्य प्रसंस्करण, रत्न और आभूषण, सीमेंट, संगमरमर स्लैब और टाइल्स, कांच, ऑक्सीजन, जिंक, उर्वरक, रेलवे वैगन, बॉल बेयरिंग, पानी और बिजली मीटर, सल्फ्यूरिक एसिड, हस्तकला वस्तुओं, टेलीविजन सेट, सिंथेटिक यार्न, सिरेमिक, इन्सुलेटर, स्टेनलेस स्टील, रे रोलिंग, स्टील फाउंड्री और अपमानजनक ईंटें। इसके अलावा, कीमती और अर्द्ध कीमती पत्थरों, कास्टिक सोडा, कैल्शियम कार्बाइड, नायलॉन और टायर्स इत्यादि अन्य महत्वपूर्ण औद्योगिक इकाइयां हैं। राजस्थान में जस्ता सांद्रता, पन्ना, ग्रेनाइट, जिप्सम, चांदी अयस्क, एस्बेस्टोस, फेल्डस्पर और मीका की समृद्ध जमा है। देश के निर्यात संवर्धन औद्योगिक पार्क में भी राज्य स्थापित किया गया है और सीतापुरा (जयपुर), बोरांडा (जोधपुर) और भिवंडी (अलवर) में परिचालित कराया गया है। निर्यातकों को बढ़ावा देने के लिए जयपुर, भीलवाड़ा, जोधपुर और भिवंडी (अलवर) में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो की स्थापना हुई है। सीतापुर (जयपुर) में रत्न और आभूषण के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र और बोरानादा (जोधपुर) में हस्तशिल्प के लिए स्थापित किया गया है, और जयपुर में पीपीपी मॉडल में बहुउद्देशीय विशेष आर्थिक क्षेत्र “महेंद्र विश्व शहर” स्थापित किया गया है।

सिंचाई

मार्च 2011 के अंत तक राज्य में 37.51 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता विभिन्न प्रमुख, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से बनाई गई थी। वर्ष 2010-11 (मार्च, 2010-11) के दौरान 38,444 हेक्टेयर (आईजीएनपी समेत) की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता बनाई गई थी।

शक्ति

राज्य में स्थापित बिजली क्षमता मार्च 18, 2011 तक 9188.22 मेगावाट हो गई है, जिसमें से 40 9 7.35 मेगावाट राज्य की स्वामित्व वाली परियोजनाओं से 9, 9.9 2 मेगावाट सहयोग परियोजनाओं से, 2240.23 मेगावाट केंद्रीय विद्युत उत्पादन स्टेशनों से आवंटन से, 1607.70 मेगावाट से पवन, सौर और बायोमा परियोजनाएं और निजी क्षेत्र परियोजनाओं से 270 मेगावाट।

ट्रांसपोर्ट सड़कें

मार्च, 2011 में सड़कों की कुल लंबाई 1,88,534 किमी थी। रेलवे: जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, कोटा, सवाई माधोपुर और भरतपुर और उदयपुर राज्य के मुख्य रेलवे जंक्शन हैं। रेलवे लाइन की कुल लंबाई 5683.01 किमी है। मार्च 2008 में राज्य में। विमानन: सभी प्रमुख शहर घरेलू हवाई सेवाओं के तहत जयपुर हवाई अड्डे से जुड़े हुए हैं, जिसमें दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे और गुवाहाटी महत्वपूर्ण घरेलू हवाई सेवाएं हैं। जयपुर हवाई अड्डे से दुबई, मस्कट और शारजाह के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

समारोह

राजस्थान त्यौहारों और मेलों की भूमि है, इसके अलावा होली, दीपावली, विजयदाश्मी, क्रिसमस इत्यादि के राष्ट्रीय त्यौहार, देवताओं और देवियों की जयंती, संतों के आंकड़े, लोक नायकों और नायिकाओं का जश्न मनाया जाता है। महत्वपूर्ण मेले हैं तेज, गंगौर (जयपुर), अजमेर शरीफ और गलीकोट के वार्षिक उर्स, बेनेश्वर (आदिकरपुर) के आदिवासी कुंभ, सवाई माधोपुर, श्रीदेवारा (जैसलमेर), जनबेस्लवारी मेले (मुकम-बीकानेर), कार्तिक पूर्णिमा में श्रीमहिविजी में महावीर मेले, मवेशी मेला (पुष्कर-अजमेर) और श्यामजी मेला (सीकर), आदि

पर्यटक केंद्र

हवा महल

जयपुर जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, माउंट आबू (सिरोही), सवाई माधोपुर में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (टाइगर रिजर्व), अलवर में सरिस्का टाइगर अभयारण्य, भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, अजमेर, जैसलमेर, पाली और चित्तौड़गढ़, बुंदी, कोटा, झलवार और शेखावती राज्य में पर्यटक हितों के महत्वपूर्ण स्थान हैं।

जैसलमेर के रेगिस्तान

जैसलमेर का मध्ययुगीन किला शहर राजस्थान के सुदूर रेगिस्तान से निकलता है, जैसे दुनिया के अंत में एक शहर की तरह। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत की महाकाव्य लड़ाई के बाद, भगवान कृष्ण और पांडव नायक, भीम, एक समारोह के लिए यहां आए थे।

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

भारतीय इतिहास

भारत के इतिहास को अगर विश्व के इतिहास के महान अध्यायों में से एक कहा जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। इसका वर्णन करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था, ‘‘विरोधाभासों से भरा लेकिन मजबूत अदृश्य धागों से बंधा’’। भारतीय इतिहास की विशेषता है कि वो खुद को तलाशने की सतत् प्रक्रिया में लगा रहता है और लगातार बढ़ता रहता है, इसलिए इसे एक बार में समझने की कोशिश करने वालों को ये मायावी लगता है।
इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी।
युगों के अनुसार भारत का इतिहास इस प्रकार हैः
पूर्व ऐतिहासिक काल
पाषाण युगः
पाषाण युग 500,000 से 200,000 साल पहले शुरू हुआ था और तमिलनाडु में हाल ही में हुई खोजो में इस क्षेत्र में सबसे पहले मानव की उपस्थिति का पता चलता है। देश के उत्तर पश्चिमी हिस्से से 200,000 साल पहले के मानव द्वारा बनाए हथियार भी खोजे गए हैं।
कांस्य युगः
भारतीय उपमहाद्वीप में कांस्य युग की शुरुआत लगभग 3,300 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के साथ हुई थी। प्राचीन भारत का एक ऐतिहासिक हिस्सा होने के अलावा यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। इस युग के लोगों ने धातु विज्ञान और हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की और तांबा, पीतल, सीसा और टिन का उत्पादन किया।
प्रारंभिक ऐतिहासिक काल
वैदिक कालः
भारत पर हमला करने वालों में पहले आर्य थे। वे लगभग 1,500 ईसा पूर्व उत्तर से आए थे और अपने साथ मजबूत सांस्कृतिक परंपरा लेकर आए। संस्कृत उनके द्वारा बोली जाने वाली सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक थी और वेदों को लिखने में भी इसका उपयोग हुआ जो कि 12वीं ईसा पूर्व के हंै और प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं।
वेदों को मेसोपोटामिया और मिस्त्र ग्रंथों के बाद सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है। उपमहाद्वीप में वैदिक काल लगभग 1,500-500 ईसा पूर्व तक रहा और इसमें ही प्रारंभिक भारतीय समाज में हिंदू धर्म और अन्य सांस्कृतिक आयामों की नींव पड़ी। आर्यों ने पूरे उत्तर भारत में खासतौर पर गंगा के मैदानी इलाकों में वैदिक सभ्यता का प्रसार किया।

महाजनपदः
इस काल में भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के बाद शहरीकरण का दूसरा सबसे बड़ा उदय देखा गया। ‘महा’ शब्द का अर्थ है महान और ‘जनपद’ का अर्थ है किसी जनजाती का आधार। वैदिक युग के अंत में पूरे उपमहाद्वीप में कई छोटे राजवंश और राज्य पनपने लगे थे। इसका वर्णन बौद्ध और जैन साहित्यों में भी है जो कि 1,000 ईसा पूर्व पुराने हैं। 500 ईसा पूर्व तक 16 गणराज्य या कहें कि महाजनपद स्थापित हो चुके थे, जैसे कासी, कोसाला, अंग, मगध, वज्जि या व्रजी, मल्ला, चेडी, वत्स या वम्स, कुरु, पंचाला, मत्स्य, सुरसेना, असाका, अवंति, गंधारा और कंबोजा।
फारसी और यूनानी विजयः
उपमहाद्वीप का ज्यादातर उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान और अफगानिस्तान है, में फारसी आक्मेनीड साम्राज्य के डारियस द ग्रेट के शासन में सी. 520 ईसा पूर्व में आया और करीब दो सदियों तक रहा। 326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने एशिया माइनर और आक्मेनीड साम्राज्य पर विजय पाई फिर उसने भारतीय उपमहाद्वीप की उत्तर पश्चिमी सीमा पर पहुंचकर राजा पोरस को हराया और पंजाब के ज्यादातर इलाके पर कब्जा किया।
मौर्य साम्राज्यः
मौर्य वंशजों का मौर्य साम्राज्य 322-185 ईसा पूर्व तक रहा और यह प्राचीन भारत के भौगोलिक रुप से व्यापक एवं राजनीतिक और सैन्य मामले में बहुत शक्तिशाली राज्य था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसे उपमहाद्वीप में मगध, जो कि आज के समय में बिहार है, में स्थापित किया और महान राजा अशोक के शासन में यह बहुत उन्नत हुआ।

प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम

प्रागैतिहासिक कालः 400000 ई.पू.-1000 ई.पू. : यह वह समय था जब सिर्फ भोजन इकट्ठा करने वाले मानव ने आग और पहिये की खोज की।
सिंधु घाटी सभ्यताः 2500 ई.पू.-1500 ई.पू. : इसका यह नाम सिंधु नदी से आया और यह कृषि करके उन्नत हुई। यहां के लोग प्राकृतिक संसाधनों की भी पूजा करते थे।
महाकाव्य युगः 1000 ई.पू.-600 ई.पू. : इस कालखण्ड में वेदों का संकलन हुआ और वर्णों के भेद हुए जैसे आर्य और दास।
हिंदू धर्म और परिवर्तनः 600 ई.पू.-322 ई.पू. : इस समय में जाति प्रथा बहुत सख्त हो गई थी और यही वह समय था जब महावीर और बुद्ध का आगमन हुआ और उन्होंने जातिवाद के खिलाफ बगावत की। इस काल में महाजनपदों का गठन हुआ और बिम्बिसार के शासन में मगध आया, अजात शत्रु, शिसुनंगा और नंदा राजवंश बने।
मौर्य कालः 322 ई.पू.-185 ई.पू. : चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित इस साम्राज्य के तहत् पूरा उत्तर भारत था और बिंदुसारा ने इसे और बढ़ाया। इस काल में हुए कलिंग युद्ध के बाद राजा अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया।
आक्रमणः 185 ई.पू.-320 ईसवीः इस अवधि में बक्ट्रियन, पार्थियन, शक और कुषाण के आक्रमण हुए। व्यापार के लिए मध्य एशिया खुला, सोने के सिक्कों का चलन और साका युग का प्रारंभ हुआ।
डेक्कन और दक्षिणः 65 ई.पू.-250 ईसवीः इस काल में दक्षिण भाग पर चोल, चेर और पांड्या का शासन रहा और इसी समय में अजंता एलोरा गुफाओं का निर्माण हुआ, संगम साहित्य और भारत में ईसाई धर्म का आगमन हुआ।
गुप्त साम्राज्यः 320 ईसवी-520 ईसवीः इस काल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की, उत्तर भारत में शास्त्रीय युग का आगमन हुआ, समुद्रगुप्त ने अपने राजवंश का विस्तार किया और चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया। इस युग में ही शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई। आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए और भक्ति पंथ भी इस समय उभरा।
छोटे राज्यों का कालः 500 ईसवी-606 ईसवीः इस युग में हूणों के उत्तर भारत में आने से मध्य एशिया और ईरान में पलायन देखा गया।
उत्तर में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ।
हर्षवर्धनः 606 ई-647 ईसवीः हर्षवर्धन के शासनकाल में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेन त्सांग ने भारत की यात्रा की। हूणों के हमले से हर्षवर्धन का राज्य कई छोटे राज्यों में बँट गया।
यह वह समय था जब डेक्कन और दक्षिण बहुत शक्तिशाली बन गए।
दक्षिण राजवंशः 500ई-750 ईसवीः इस दौर में चालुक्य, पल्लव और पंड्या साम्राज्य पनपा और पारसी भारत आए।
चोल साम्राज्यः 9वीं सदी ई-13वीं सदी ईसवीः विजयालस द्वारा स्थापित चोल साम्राज्य ने समुद्र नीति अपनाई।
अब मंदिर सांस्कृतिक और सामाजिक केन्द्र होने लगे और द्रविडि़यन भाषा फलीफूली।
उत्तरी साम्राज्यः 750ई-1206 ईसवीः इस समय राष्ट्रकूट ताकतवर हुआ, प्रतिहार ने अवंति और पलस ने बंगाल पर शासन किसा। इस दौर ने राजपूत कुलों का उदय देखा।
खजुराहो, कांचीपुरम, पुरी में मंदिरों का निर्माण हुआ और लघु चित्रकारी शुरु हुई। इस अवधि में तुर्कों का आक्रमण हुआ।

मध्यकालीन भारतीय इतिहास

मुगल साम्राज्यः फरगाना वैलर जो कि आज का उज़बेकिस्तान है, के तैमूर और चंगेज़ खान के वंशज बाबर ने सन् 1526 में खैबर दर्रे को पार किया और वहां मुगल साम्राज्य की स्थापना की, जहां आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश है। सन् 1600 तक मुगल वंश ने ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। सन् 1700 के बाद इस वंश का पतन होने लगा और आखिरकार भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के समय सन् 1857 में पूरी तरह खात्मा हो गया।

आधुनिक भारतीय इतिहास

उपनिवेशी कालः16वीं सदी में पुर्तगाल, नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन से यूरोपीय शक्तियों ने भारत में अपने व्यापार केन्द्र स्थापित किए। बाद में आंतरिक मतभेदों का फायदा उठाकर उन्होंने अपनी काॅलोनियां स्थापित कर लीं।
ब्रिटिश राजः
सन् 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आने पर यहां महारानी विक्टोरिया के शासन का ब्रिटिश राज शरु हुआ। यह सन् 1857 में भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के बाद समाप्त हुआ।
सन् 1857 के प्रसिद्ध व्यक्तिः
बहादुर शाह ज़फर
अधिकांश भारतीय विद्रोहियों ने बहादुर शाह ज़फर को भारत का राजा चुना और उनके अधीन वे एकजुट हो गए। अंग्रेजों की साजिश के सामने वो भी नहीं टिक पाए। उनके पतन से भारत में तीन सदी से ज्यादा पुराने मुगल शासन का अंत हो गया।
बख्त खानः
ईस्ट इंडिया कंपनी में सूबेदार रहे बख्त खान ने रोहिल्ला सिपाहियों की एक सेना का निर्माण किया। मई 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ मेरठ में सिपाहियों के विद्रोह करने के बाद वो दिल्ली में सिपाही सेना का कमांडर बन गए।
मंगल पांडेः
34वीं बंगाल नेटिव इंफैंट्री का हिस्सा रहे मंगल पांडे को 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में एक वरिष्ठ अंग्रेज अधिकारी पर हमला करने के लिए जाना जाता है। इस घटना को ही भारत की स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत माना जाता है।
नाना साहिबः निर्वासित मराठा पेशवा बाजी राव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहिब ने कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
रानी लक्ष्मीबाईः
रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे के साथ मिलकर अंग्रेज सैनिकों के खिलाफ बहादुरी से लड़ीं। 17 जून 1858 को ग्वालियर के फूल बाग इलाके के पास अंग्रेजों से लड़ते हुए उन्होंने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
तात्या टोपेः
नाना साहिब के करीबी सहयोगी और सेनापति तात्या टोपे ने रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी।
वीर कुंवर सिंहः
वर्तमान में बिहार के भोजपुर जिले का हिस्सा रहे जगदीशपुर के राजा ने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र सेना का नेतृत्व किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और महात्मा गांधीः
20वीं सदी में महात्मा गांधी ने लाखों लोगों का नेतृत्व किया और सन् 1947 में स्वतंत्रता हेतु एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया।
आजादी और विभाजनः
अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति के कारण पिछले कुछ सालों में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक तनाव बढ़ता गया खासतौर पर पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे प्रांतों में। महात्मा गांधी ने दोनों धार्मिक समुदायों से एकता बनाए रखने की भी अपील की। दूसरे विश्व युद्ध के बाद कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का फैसला किया, जिससे अंतरिम सरकार बनाने का रास्ता बना। आखिरकार, भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और अंग्रेजों के कब्जे से इस क्षेत्र को सन् 1947 में आजादी मिली।
आजादी के बाद के कालः
कई सभ्यताओं जैसे ग्रीक, रोमन और मिस्त्र ने उदय और पतन देखा। भारतीय सभ्यता और संस्कृति इससे अछूती रही। इस देश पर एक के बाद एक कई आक्रमण हुए, कई साम्राज्य आए और अलग अलग हिस्सों पर शासन किया, लेकिन भारतवर्ष की अदम्य आत्मा पराजित नहीं हुई।
आज भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे जीवंत गणराज्य के तौर पर विश्व में देखा जाता है। यह एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति और दक्षिण एशिया का एक प्रभावशाली देश है।
भारत एशिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या के तौर पर दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसमें एशिया का एक तिहाई हिस्सा है और मानव जाति का सातवां भाग इसमें है।